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छत्तीसगढ़ी हस्तशिल्प कला का इतिहास(Chhattisgarhi Hastshilp Kala) /History of Chhattisgarhi Handicraft Art

छत्तीसगढ़ी हस्तशिल्प कला का इतिहास(Chhattisgarhi Hastshilp Kala) /History of Chhattisgarhi Handicraft Art

 

हस्तशिल्प कला का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। आइये छत्तीसगढ़ी हस्तशिल्प के  विभिन्न कलाओं के बारे में जानते है : -


 1) मिट्टी कला (Terracotta Clay Art) 

छत्तीसगढ़ निवासियों द्वारा मिट्टी से पशु-पक्षी खिलौने, मूर्तियों आदि को मिट्टी शिल्प के नाम से जाना जाता है। बस्तर में मिट्टी शिल्प प्रसिद्ध है, जिसे 'टेराकोटा' (Terracotta) कहते है।  इसके अतिरिक्त रायगढ़, सरगुजा व राजनांदगांव भी मिट्टी शिल्प कला के लिए प्रसिद्ध है। 

 



 2) काष्ठ  कला (Wood Craft) 

लकड़ी से बनाये हुये खिलौने, मूर्तियां, तीर-धनुष, बैलगाड़ी को काष्ठ कला (Wooden Art)  है। छत्तीसगढ़ में मुड़िया जनजाति इससे संबंधित है।  इनके घोटुल की साज-सज्जा,  झूले,  मृतक स्तंभ आदि काष्ठ कला का उदहारण है। अनगढ़ शैली के काष्ठ शिल्प कला (Wooden craft )  सरगुजा में  प्रसिद्ध है। 

 




3) कंघी  कला (Comb Art

बस्तर क्षेत्र के बंजारा जाति के लोग लकड़ी की कंघी बनाने का कार्य करते हैं। 


 

4) पत्ता शिल्प  (Leaf Craft) 

छत्तीसगढ़ में छीन, तेन्दू, पलाश आदि के द्वारा  बनायीं गयी टोकरी, सुपा पत्ता शिल्प के उदहारण है। 




5) बांस  शिल्प  (Bamboo Crafts) 

गरियाबंद में रहने वाले कमार जनजाति बांस शिल्प (Bamboo Crafts ) का कार्य करती है। ये जनजाति बांस से सजावट की वस्तुएं तीर-धनुष आदि बनाने का कार्य करती है।




6)लौह  शिल्प(घड़वा कला) (Wrought Iran

बस्तर जिले में घड़वा कला सर्वाधिक प्रसिद्ध कला है।  इसमें कांस्य, तांबे तथा टिन जैसे मिश्र धातुओं से बनाया जाता है।  जयदेव बघेल को घड़वा कला का जन्मदाता कहा जाता है। 




7) ढोकरा  शिल्प  (Bell Metal

पीतल तथा मोम से की गई शिल्पकारी को ढोकरा कला कहते  है।  ढोकरा कला रायगढ़ तथा बस्तर में प्रसिद्ध है। 




8) तुम्बा  शिल्प  (Tumba Craft) 

लौकी के खोल पर की गई विशेष कलाकृति को तुम्बा शिल्प कहते  है।  


 9) प्रस्तर  शिल्प 
 (Stone Craft) 

पत्थरों पर की गई शिल्पकारी को प्रस्तर  शिल्प  (Stone Craft) के नाम से जाना जाता  है।  छत्तीसगढ़ के बहुमुखी प्रतिभा के धनी  गेंदराम सागर को प्रस्तर शिल्प के लिए अनेक सम्मान दिये गये हैं। इनके द्वारा लिखित पुस्तक 'धरती मोर प्राण' है। 




10) कोरण्डम काष्ठ कला (Corundum wood Craft) 

कोरण्डम की कटाई -छंटाई कर इसे पॉलिस कर विशेष आकृतियाँ दी जाती है। छत्तीसगढ़ में  कोरण्डम काष्ठ कला (Corundum wood Craft) गरियाबंद, नारायणपुर, महासमुंद आदि में प्रचलित है। 

 

  

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